नई दिल्ली : कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की। सवालों के घेरे में आने के बाद नीति को रद्द कर दिया गया।
दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल गई है। दिल्ली के सीएम को यह राहत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिली है। दिल्ली शराब नीति में हुए कथित घोटाले में हाल में हाई प्रोफाइल गिरफ्तारियां हुईं, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता शामिल हैं।
शराब नीति भले ही दिल्ली के लिए थी लेकिन इसमें हुए कथित घोटाले में ईडी ने दक्षिण से लेकर गोवा तक तार जोड़े हैं। जहां साऊथ ग्रुप को घोटाले का प्रमुख लाभकारी बताया गया है तो वहीं दावा यह भी है कि घोटाले से कमाई गई राशि गोवा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई।
आइये जानते हैं कि आखिर शराब घोटाला है क्या? नई शराब नीति क्या थी? इसमें किस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप हैं? अरविंद केजरीवाल का नाम इसमें क्यों आया?
पहले जानते हैं आखिर क्या है कथित शराब नीति घोटाला?
कोरोना काल के बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने ‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22’ लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया था।
जांच कैसी शुरू हुई?
सीबीआई ने अगस्त 2022 में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। बाद में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी।
ईडी और सीबीआई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई की जांच नीति बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।
अभी तक कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं?
दिल्ली शराब नीति अनियमितता मामले की जांच कर रही दोनों एजेंसियां सीबीआई और ईडी अब तक 15 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी और छह आरोप-पत्र दायर कर चुकी हैं। गिरफ्तार होने वालों में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर, के. कविता, मगुंटा श्रीनिवास रेड्डी, राघव मंगुटा, समीर महेंद्रू, अरुण रामचंद्रन, राजेश जोशी, गोरन्तला बुचिबाबू, अमित अरोड़ा, गौतम मल्होत्रा, अरुण पिल्लई, बेनॉय बाबू, पी. सरथ चंद्र रेड्डी, अरबिंदो फार्मा के पूर्णकालिक निदेशक और प्रमोटर, व्यवसायी अमनदीप धाल और व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली शामिल हैं। इसमें से संजय सिंह कई आरोपियों को जमानत मिल गई है जबकि कुछ सरकारी गवाह भी बन गए हैं। अरविंद केजरीवाल को 10 मई को अंतरिम जमानत मिली है।
जांच में क्या निकला?
ईडी ने अदालत में दायर आरोप-पत्र में दावा किया कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 आप के शीर्ष नेताओं द्वारा बनाई गई थी, ताकि लगातार अवैध धन कमा कर और उसे अपने पास लाया जा सके। ईडी ने दावा किया कि यह नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए जानबूझकर कमियों के साथ बनाई गई थी।
इस नीति की वजह से पिछले दरवाजे से गुटबंदी को बढ़ावा मिला। इसके साथ ही नीति में 12% का अत्यधिक थोक लाभ मार्जिन और 185% का भारी खुदरा लाभ मार्जिन दिया गया। ऐसा करने से AAP के शीर्ष नेताओं को व्यवसायियों से भारी रिश्वत मिली।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में अदालत को बताया कि केजरीवाल कथित घोटाले के सरगना हैं। एजेंसी के मुताबिक, केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ से 100 करोड़ रुपये की मांग की थी। वहीं इस पैसे का एक हिस्सा करीब 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल AAP ने 2022 में हुए गोवा विधानसभा के चुनाव में किया था।