रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत ने सबको चौंका दिया। सब रुझान और एग्जिट पोल्स गलत साबित हो गए। अब विधानसभा चुनाव के बाद जहां लोकसभा चुनाव पर सबकी नजरें हैं उसी बीच पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह फिर सुर्खियों में हैं। डॉक्टर रमन सिंह एक बार फिर सीएम पद के दावेदार हैं। उनका ट्रैक रिकॉर्ड, तीन बार सीएम की कुर्सी संभालने का अनुभव और राज्य के बारे में उनकी समझ इसकी बड़ी वजह हैं।
पूर्व सीएम रमन सिंह ने वह दौर भी देखा जब लगातार उनकी पूछ कम हो रही थी। लेकिन इस चुनाव में जिताऊ उम्मीदवार की तलाश का जिम्मा उनके कंधों पर ही था। जिसे उन्होंने बखूबी निभाया भी है। फ्री में इलाज करते थे डॉक्टर रमन सिंह : रमन सिंह शुरुआत में गरीब लोगों का फ्री में इलाज किया करते थे। तब वह भारत माता चिकित्सालय से जुड़े हुए थे। रमन जब पढ़ाई कर रहे थे, तब से ही जनसंघ के विचार उनको भाते थे। इससे जुड़कर वह यूथ विंग के सदस्य बने। आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शनों में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिसके चलते कई बार उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। फिर आगे चलकर 1983 में वह कवर्धा नगर पालिका से पार्षद बने। इसके बाद रमन सिंह ने 1990 में कवर्धा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। फिर 1993 में दोबारा चुनाव हुए और वह फिर जीत गए।
तबतक छत्तीसगढ़ अलग राज्य नहीं था और मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। इसके बाद 1999 में रमन सिंह राजनंदगांव से सांसद बने, फिर 2000 में छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग राज्य बना दिया गया। अब तक रमन सिंह बीजेपी का बड़ा चेहरा हो चुके थे। इसी दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने उनको अपनी सरकार में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया था। बाद में साल 2003 में रमन सिंह को बीजेपी ने छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उनकी अगुआई में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जीत भी दर्ज की। वह दिसंबर 2003 में कांग्रेस के अजित जोगी को हराकर प्रदेश के दूसरे सीएम बने। छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतकर सीएम बनने वाले रमन सिंह पहले थे क्योंकि जोगी को केंद्र सरकार ने अपाइंट किया था। अपने कार्यकाल में रमन सिंह ने राशन वितरण, हेल्थकेयर के लिए काफी काम किया था। औद्योगीकरण पर भी उन्होंने जोर किया था।
इसी वजह से साल 2008 और फिर 2013 में वह दोबारा सीएम बने थे। वह सबसे लंबे वक्त तक छत्तीसगढ़ का सीएम रहने वाले शख्स भी हैं। प्रशासनिक अनुभव व राजनीतिक दक्षता में महारत कई जटिल समस्याओं से ग्रसित छत्तीसगढ़ राज्य के हालात और परिस्थितियों के अनुरूप भाजपा आलाकमान को प्रशासनिक अनुभवी व राजनीतिक दक्षता वाले नेतृत्व की जरूरत है। आलाकमान उन्हीं के नाम पर विचार-मंथन कर रहा है। ये तमाम गुण पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह में परिलक्षित होते हैं। उन्होंने यह अपने 15 साल के शासन काल में साबित भी किया है।
लाइमलाइट से दूर रहने के बाद रमन सिंह फिर मुख्यधारा में लौटे। बीते 60 दिनों में तो जैसे उन्होंने सब बदलकर ही रख दिया। अब रमन सिंह को ही बीजेपी का सीएम फेस के तौर पर देखा जा रहा है. कोई और नहीं- बीजेपी के पास छत्तीसगढ़ में रमन सिंह जितना दूसरा कोई मजबूत चेहरा नहीं है। साथ ही रमन सिंह की आम जनता के बीच अब भी छवि चावल वाले बाबा की है। क्योंकि उनकी चावल योजना से लोगों ने लाभ उठाया था। उनकी राशन वितरण पॉलिसी को कई राज्यों ने अपनाया था।
तब की केंद्र सरकार भी इसकी तारीफ की थी। विपक्षी भी उनपर कभी ज्यादा हमलावर नहीं दिखा। राज्य के कई कांग्रेस नेताओं से उनके दोस्ताना संपर्क हैं। 2. रमन सिंह की छवि विकास करने वाले नेता की रही है। उनके राज के दौरान की राज्य में नया रायपुर, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, नया रोड नेटवर्क, राउघाट रेलवे प्रोजेक्ट तैयार हुआ। अब रमन सिंह फिर से राज्य के सीएम बनेंगे या नहीं, ये देखने वाली बात होगी। लेकिन चर्चा यही है कि बीजेपी को फिर सत्ता दिलाने में रमन सिंह के रोल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।