नई दिल्ली : दुनियाभर में बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों को लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए इसपर समय रहते रोक लगाने की अपील की है। कई अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी बढ़ते वायु प्रदूषण और वातावरण में बढ़ती गैसों को कम करने के लिए प्रयास करने पर जोर दिया गया है।
इस दिशा में हाल ही में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार के पोरस मैटेरियल को तैयार किया है, जो वातावरण में बढ़ते हानिकारक कार्बनडाई ऑक्साइड को कम कर सकता है।
वैज्ञानिकों ने बताया दुनियाभर में तेजी से हो रहे वातावरण में बदलाव के लिए बढ़ती ग्रीन हाउस गैसें जिम्मेदार हो सकती हैं। पिछले एक दशक में कई देशों में तेजी से बढ़ती गर्मी के लिए भी इसे प्रमुख कारण के तौर पर जाना जाता है। हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है कि उनकी इस खोज से प्रदूषण के स्तर में कमी आ सकती है।
कार्बनडाई ऑक्साइड को कम करने के लिए अध्ययन
नेचर सिंथेसिस जर्नल में प्रकाशित शोध में एडिनबर्ग स्थित हेरियट-वाट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ऐसा मैटेरियल तैयार किया है जो वातावरण में बढ़ते कार्बन डाई ऑक्साइड को संरक्षित कर सकती है। टीम ने कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर हेक्साफ्लोराइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों के लिए उच्च भंडारण क्षमता वाले ‘पिंजरे’ जैसे अणु बनाए। सल्फर हेक्साफ्लोराइड कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में अधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है और वायुमंडल में हजारों वर्षों तक रह सकती है।
शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ. मार्क लिटिल ने कहा, यह एक रोमांचक खोज है क्योंकि हम समाज की सबसे बड़ी चुनौतियों को हल करने में मदद के लिए प्रयास कर रहे हैं।
पौधारोपण कार्बन को अवशोषित करने का एक बहुत प्रभावी तरीका है, लेकिन यह बहुत धीमा है इसलिए हमें पर्यावरण से ग्रीनहाउस गैसों को अधिक तेजी से कुशलतापूर्वक कम करने के लिए मानव-निर्मित कुछ प्रयास की आवश्यकता थी जिसमें काफी हद तक सफलता मिली है।
एआई की भी ली जाएगी मदद
शोधकर्ताओं ने इसके लिए कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके जानने की कोशिश की है कि ये अणु खुद से किस प्रकार से हानिकारक गैसों को एकत्रित करके वातावरण में इसके प्रकोप को कम कर सकते हैं। डॉ. लिटिल ने कहा कि भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग के माध्यम से इसे और बढ़ाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने कहा यदि हम तेजी से और अधिक सटीक रूप से एआई टूल का उपयोग करने में सक्षम होते हैं तो वास्तव में उस दर को भी तेज कर सकते हैं जिसकी मदद से पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण इस बात को लेकर चिंता जताई जाती रही है कि ये वातावरण के सामंजस्य को बिगाड़ सकते हैं, जिससे बड़े-बड़े ग्लेशियर के पिघलने का भी जोखिम बढ़ सकता है।