नई दिल्ली : हम रोजाना कई सारे कैमिकल्स के बीच जीते हैं। इनमें से कुछ हमारी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, तो कुछ को हमने शौक या लग्जरी की वजह से अपना लिया है। इनमें एक बड़ा प्रतिशत है कॉस्मेटिक्स का। साबुन से लेकर शैंपू और लोशन तक और परफ्यूम से लेकर डियो स्टिक तक, रोजाना हमारा शरीर कई सारे रसायनों से होकर गुजरता है। जाहिर है कि रसायन हैं तो रासायनिक प्रतिक्रिया भी देंगे ही। डियोड्रेंट का प्रयोग भी इसी के अंतर्गत आता है। गर्मियों के दिन हों या बारिश के, पसीने और उमस भरे वातावरण में डियोड्रेंट मन को ताजगी का एहसास देने का काम करता है। साथ ही ये पसीने की दुर्गंध को भी दूर रख सकता है। मुश्किल यह है कि डियो का गलत तरीके से इस्तेमाल या अधिक इस्तेमाल भी कई समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसलिए इसके उपयोग को लेकर सतर्कता रखना जरूरी है।
तेज गर्मी का मौसम हो या बारिश के उमस भरे दिन, शरीर पर खुशबूदार डियो की छुअन मन को भी प्रफुल्लित कर डालती है। यहां यह जानना जरूरी है कि डियोडरेंट त्वचा की एसिडिटी को बढ़ाकर बदबू पर नियंत्रण का काम करता है। खासतौर पर बगलों यानी आर्मपिट पर। लेकिन यह पसीने पर नियंत्रण नहीं करता। डियोड्रेंट एक प्रकार का कॉस्मेटिक ही है। इसलिए ये रसायनों से ही बनाए जाते हैं। पसीने की बदबू को रोकने के लिए इनमें परफ्यूम का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही इनमें अल्कोहल भी होता है। यही कारण है कि जब आप स्किन पर इसे अप्लाई करते हैं तो स्किन रूखी और रंगहीन भी हो सकती है।
एलर्जी और डियो:
डियो के कारण कई बार एलर्जी ट्रिगर हो सकती है। इसमें त्वचा पर रैशेज, दाने, लाली, खुजली, जलन होना या त्वचा पर पपड़ी बनना या सूजन आना आदि होने के साथ ही सांस सम्बन्धी लक्षण भी पनप सकते हैं। आमतौर पर यह कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस का ही एक प्रकार होता है। ऐसा डियो में मौजूद एल्युमिनियम, अल्कोहल, कृत्रिम सुगंध, पैराबीन्स जैसे प्रिजर्वेटिव्ज, रंग या अन्य रसायनों की वजह से हो सकता है।
इन बातों का रखें ख्याल:
-सबसे पहली चीज है आपकी स्किन की संवेदनशीलता। अगर आपकी स्किन सेंसेटिव है तो बहुत सतर्कता से डियो का चुनाव करें। हो सके तो विशेषज्ञ से परामर्श भी लें।
-आपको याद रखना होगा कि शरीर पर आने वाला पसीना बदबूदार नहीं होता। ये आपकी स्किन पर पलने वाले बैक्टीरिया होते हैं जो इस बदबू का कारण बनते हैं। इसलिए यदि आप बॉडी ओडर से परेशान हैं तो पहले इसका कारण जानें। बजाय कारण समझे ढेर सारे डियो का उपयोग न करें। हो सकता है आपके साथ कोई ऐसी समस्या हो जिसे सही उपचार की जरूरत हो।
-चूंकि डियो को हमेशा सीधे स्किन पर लगाया जाता है। ऐसे में यदि डियो लगाने के बाद त्वचा पर जलन, खुजली, रूखेपन आदि का एहसास हो, तो तुरंत उसे लगाना बन्द कर दें।
-आजकल बाजार में नैचुरल डियोड्रेंट भी उपलब्ध हैं। ये ज्यादातर प्राकृतिक साधनों जैसे- एसेंशियल ऑइल्स, बेकिंग सोडा, कॉर्नस्टार्च आदि के प्रयोग से बनाये जाते हैं। इनका प्रयोग अधिक सुरक्षित हो सकता है। यदि इनसे भी एलर्जी के लक्षण उभरते हैं तो डियो का प्रयोग न करें।
-कॉटन के साफ धुले कपड़े पहनने, रोज अच्छे से नहाने, शरीर को साफ रखने, शरीर के अतिरिक्त बालों को हटाने और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने जैसे तरीकों से काफी हद तक पसीने की बदबू को नियंत्रित किया जा सकता है।
-आर्मपिट डिटॉक्स, एलोवेरा, नारियल तेल, टी ट्री ऑइल, एप्सम सॉल्ट, कोल्ड कम्प्रेस, आदि जैसे साधनों से भी बदबू की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
-यदि सामान्य उपायों से राहत न हो और एलर्जी के लक्षण बने रहें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।