नई दिल्ली : देश में रेलवे का विशाल नेटवर्क फैला हुआ है। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए भारतीय रेलवे देशभर में हजारों ट्रेनों का संचालन कर रहा है। इन ट्रेनों में रोजाना करोड़ों की संख्या में यात्री सफर करते हैं। ट्रेनों में यात्रियों की सुविधा को देखते हुए कई नियमों को बनाया गया है। ट्रेनों में क्लास सिस्टम होता है। इन क्लास सिस्टम के आधार पर यात्रियों को सुविधाएं दी जाती हैं। ट्रेन में सफर करते समय प्रीमियम सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आप फर्स्ट एसी, सेकेंड एसी या थर्ड एसी में सफर कर सकते हैं। इन डिब्बों में आपको अच्छी सुविधाओं के साथ एसी की ठंडी हवा भी मिलती है। वहीं एसी क्लास में सफर करते समय क्या कभी आपने इस सवाल पर विचार किया है कि आखिर ट्रेनों में जो एसी लगे होते हैं? वह कितने टन का होता है? अगर नहीं, तो आज इस खबर के जरिए हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।
आपको इस बारे में पता होना चाहिए कि बोगी की कैटेगरी, उसके आकार और सीटों की संख्या के आधार पर एसी की कूलिंग क्षमता कम और ज्यादा होती है। ट्रेन में फर्स्ट क्लास कोच में लगे एसी की कूलिंग क्षमता 6.7 टन की होती है। आपको इस बारे में पता होना चाहिए कि यह ICF कोच के एसी की कूलिंग क्षमता होती है।
वहीं ट्रेन के सेकेंड क्लास एसी में पांच टन के दो एसी लगाए जाते हैं। यह भी ICF कोच के एसी की कूलिंग क्षमता होती है। इसके अलावा ट्रेनों के थर्ड क्लास कोच में 7 टन के 2 एसी लगाए जाते हैं।
वहीं क्या आपको इस बारे में पता है कि एसी में टन से क्या मतलब होता है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।
एसी में टन से तात्पर्य यह होता है कि वह एक घंटे में कमरे से कितनी हीट को रिमूव करता है। हीट का मापन करने वाली यूनिट बीटीयू है। 1 टन के एसी के पास एक घंटे में 12000 BTU की गर्मी को रूम से निकालने की क्षमता होती है।