भोपाल : हर शाम घरों में सजने वाले इफ्तार दस्तरख्वान से हटकर पूरे माह चलने वाली इफ्तार पार्टियां भी भोपाल की खास पहचान में शामिल हैं। सामूहिक रोजा इफ्तार के लिए अपनों और करीबी लोगों को जोड़ने की भोपाली परंपरा पुरानी है।
दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ और यूपी के कुछ बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो देशभर में कम ही जगह होंगी, जहां रमजान माह में इतने बड़े पैमाने पर इफ्तार दावतें होती हों। मप्र भर में तो कम से कम भोपाल ऐसी इफ्तार पार्टियां करने वाला इकलौता ही कहलाएगा। शादी-ब्याह या किसी बड़े मांगलिक आयोजन की तरह बड़े शादी हॉल और मैरिज गार्डन और सजे धजे रोजादारों की मौजूदगी इस शहर की इफ्तार दावतों को अलग ही मुकाम देती है। सियासी, सामाजिक, पारिवारिक और व्यवसायिक पार्टियों की छटा यहां पूरे रमजान माह में दिखाई देती हैं।
हर शाम घरों में सजने वाले इफ्तार दस्तरख्वान से हटकर पूरे माह चलने वाली इफ्तार पार्टियां भी भोपाल की खास पहचान में शामिल हैं। सामूहिक रोजा इफ्तार के लिए अपनों और करीबी लोगों को जोड़ने की भोपाली परंपरा पुरानी है। शुरुआती दौर में हमीद मंजिल या ऐतिहासिक महत्व वाली बड़ी इमारतों में ये दावतें सजती थीं। बदलते दौर के साथ इनका मुकाम शादी हॉल और मैरिज गार्डनों तक पहुंच गया। इससे आगे बढ़कर अब यह सिलसिला फॉर्म हाउस की तरफ भी जाता नजर आ रहा है। सामूहिक दुआ, सामूहिक इफ्तार, सामूहिक नमाज और इसके बाद लजीज व्यंजन का सेवन कुछ अलग ही नजारा बना देता है।
प्रदेश स्तरीय आयोजन भी
संभवतः प्रदेश के मुखिया के लिए आकार दिए गए सीएम हाउस के निर्माण के दौर से ही यहां रोजा इफ्तार पार्टी की शुरुआत हुई। राजनीतिक लोगों, उलेमाओं और शहर के चुनिंदा लोगों की मौजूदगी वाला राजधानी भोपाल तक सिमटा ये आयोजन धीरे धीरे प्रदेश स्तरीय होता गया। वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने इसको आगे बढ़ाया। वर्ष 2018 तक ये सिलसिला बरकरार रहा। प्रदेश के दूर दराज बसे जिलों के उलेमा, सियासी लोग और समाज से जुड़े लोग इसमें शिरकत करते रहे। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने इस गरिमामय आयोजन पर विराम लगा दिया। अगले दो साल कोविड की वजह से और अगले दो साल राजनीतिक कारणों से ये आयोजन नहीं हुआ। इस साल आचार संहिता की बंदिशों के चलते भी सीएम हाउस के रोजा इफ्तार पार्टी पर संशय के बादल ही हैं।
लाट साहब की दावत
माह ए रमजान में प्रदेश राजभवन में भी रोजा इफ्तार दावत होती है। राजधानी के सभी धर्मों के विद्वान, राजनीतिक हस्तियां और शहर के प्रबुद्ध नागरिक इस दावत में शामिल होते हैं। प्रदेश के महामहिम अपने घर आए लोगों की अगवानी करते हैं। सामूहिक दुआ में शामिल होकर वे प्रदेश और देश की खुशहाली की दुआएं भी करते हैं।
इस इफ्तार ने बनाया इतिहास
कोविड काल शुरू होने से कुछ वर्षों पहले राजधानी के इकबाल मैदान पर एक ऐतिहासिक और गरिमामय आयोजन शुरू हुआ। नाम दिया गया, साथ साथ रोजा इफ्तार…! शहर के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं इकबाल बैग, जफर आलम खान, जावेद बैग आदि की इस परिकल्पना को साकार करने में जल्दी ही शहर के उत्साही लोगों की टोलियां जुटती गईं। देखते ही देखते आयोजन ने एक विशाल रूप ले लिया। मंशा थी शहर में अपने जरूरी कामों से पहुंचे लोगों, स्टूडेंट्स, अकेले रहने वाले नौकरी पेशा और इकबाल मैदान के आसपास स्थित दर्जनों अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन को रोजा इफ्तार की सुविधा मुहैया कराना। सालों जारी रही इस व्यवस्था में जरूरतमंद लोगों के साथ शहर के गणमान्य लोग भी शौक के साथ जमा होते थे। इनमें बड़ी संख्या हिंदू समुदाय के लोगों की भी होती थी। लेकिन सियासी समीकरण के चलते पिछले दो सालों से इकबाल मैदान में सार्वजनिक आयोजनों पर पाबंदी लग गई है और इस बेहतरीन आयोजन ने दम तोड़ दिया है।
कामकाजी इफ्तार ऐसे भी
बड़ी इफ्तार पार्टियों के अलावा शहर के व्यवसायिक इलाकों में भी रोजा इफ्तार टेबल सजने की परंपरा भोपाल में मौजूद है। इब्राहिमपुरा, नदीम रोड, चौक बाजार, नादरा बस स्टैंड, बुधबारा, इतवारा, जहांगीराबाद, काजी कैंप समेत सभी बाजारों में हर शाम इफ्तार टेबल सजती हैं। आसपास के व्यापारी इस इंतजाम को पूरा करते हैं।
एक इफ्तार ऐसा भी
पंडित श्याम मिश्रा अपने सहकर्मी अशफाक खान को हर साल इफ्तार दावत देते हैं। बरसों से जारी इस परंपरा में न तामझाम होता है, न मेहमानों की भीड़ और न ही पकवानों का ढेर। पंडित और पठान मिलकर हर रमजान में किसी एक दिन किसी होटल में जाते हैं, पसंदीदा व्यंजन ऑर्डर करते हैं और इफ्तार का वक्त होने पर साथ में खाकर इफ्तार पार्टी मनाते हैं।
शुरू हुआ इफ्तार दावतों का दौर
रमजान माह के 12 रोजे पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही शहर में इफ्तार दावतों का सिलसिला शुरू हो गया है। शनिवार को शहर की नामी शख्सियत पीर साहब बादशाह मियां ने बड़ी इफ्तार पार्टी आयोजित की। इसी तरह रविवार को कांग्रेस कमेटी के सचिव मुनव्वर कौसर ने भी लोगों को इफ्तार की दावत भेजी है। शहर के मुस्लिम विधायकों आरिफ अकील और आरिफ मसूद भी हर रमजान में बड़ी इफ्तार महफिलें सजाते आए हैं। चुनावी माहौल में इस बार ये आयोजन होंगे या नहीं, फिलहाल तय नहीं है। इसके अलावा भी शहर के कई बड़ी इफ्तार दावतें अपनी गरिमामय मौजूदगी की वजह से मशहूर हैं।