नई दिल्ली : जीवन में खुश रहना कई परेशानियों का हल है, इससे कई समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सकता है। हालांकि, भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को खुश रखना अपने में बड़ी चुनौती है। खुश रहने के लिए अच्छे कर्म के साथ-साथ अच्छी आदतों का होना भी बेहद जरूरी हैं। लेकिन कई बार बूरी आदतें आपकी खुशी में बाधा बनती है। इन सभी बातों का जिक्र विदुर ने अपनी नीतियों में किया है।
महात्मा विदुर की गिनती महाभारत काल के बुद्धिजीवियों में की जाती थी, वह बेहद सरल स्वभाव के थे। उनकी नीतियां आज भी युवाओं को नए मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। उनका मानना है कि कुछ आदतों के चलते व्यक्ति स्वयं को नुकसान पहुंचाता है, यदि वह इनका त्याग कर दें तो जीवन में सुख बना रहेगा। आइए इन आदतों के बारे में जान लेते हैं।
ईर्ष्या और घृणा
किसी दूसरे व्यक्ति से ईर्ष्या करने पर व्यक्ति भीतर से कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों का आत्मविश्वास धीरे-धीरे कम होने लगता है। विदुर के अनुसार ईर्ष्या और घृणा व्यक्ति को खोखला बना देती हैं। इन चीजों के चलते वह अपने पास मौजूद अवसर, रिश्तें और धन सब कुछ गंवा देता है।
क्रोध की आदत
क्रोध का व्यक्ति की सोचना की क्षमता पर असर पड़ता है, जो धीरे-धीरे मानसिक तनाव का कारण बनता है। विदुर नीति के अनुसार व्यक्ति को जीवन में हर बात पर क्रोध करने से बचना चाहिए। क्रोध बाढ़ की तरह अपने साथ सब कुछ बहा कर ले जाता है, इसलिए इस आदत का आज ही त्याग कर दें।
असंतोषी
यदि कोई व्यक्ति हर काम से अंसोष रहता है और हर बात पर खुद के बारे में सोचता है, तो ऐसे लोग जीवन में खुश नहीं रह पाते है। कुछ लोग अधिक लाभ के चक्कर में अपने पास मौजूद धन से भी संतुष्ट नहीं रहते, इसलिए उनके पास धन का भी ठहराव नहीं होता है। साथ ही इससे मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाती है। इसलिए जो आपके पास है, जितनी मात्रा में है उसका सम्मान करें।
दूसरों से उम्मीद
महात्मा विदुर के अनुसार दूसरों से उम्मीद रखने पर व्यक्ति हमेशा असफल होता है। ऐसा करने पर व्यक्ति अपने को ही ठेस पहुंचाता है। इसके अलावा केवल भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग भी कभी आगे नहीं बढ़ पाते, इसलिए अपनी मेहन और लगन पर भरोसा करना चाहिए।